नई दिल्ली। आज से सभी निगम पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। यानी अब देश की राजधानी दिल्ली में कोई भी निगम पार्षद नहीं रहा। आगामी नगर निगम चुनाव के पश्चात नए निगम पार्षद शपथ लेंगे और तब तक दिल्ली में कोई भी निगम पार्षद नहीं होगा। वर्ष 2017 में हुई चुनाव के बाद 18 मई को सभी निर्वाचित प्रत्याशियों ने अपने 05 वर्षीय कार्यकाल के लिये सदन में शपथ ली थी। उनका यह कार्य काल आज यानी 18 मई 2022 को समाप्त हो गया है। नियमों के मुताबिक पार्षद अब पूर्व निगम पार्षद कहलाएंगे और इन्हें प्रशासनिक स्तर पर किसी भी निगम अधिकारी को आदेश देने का कोई अधिकार नहीं होगा। निगम अधिकारियों को प्रशासनिक पत्र लिखने का अब इनके पास अधिकार नहीं रहेगा। जन्म अथवा मृत्यु प्रमाण पत्र और लाल डोरा जमीन इत्यादि के लिए भी यह अधिकारियों को अनुशंसा पत्र भी नहीं लिख सकेंगे। वहीं दूसरी ओर कोई भी निगम अधिकारी पूर्व पार्षदों का आदेश मानने को बाध्य नहीं होंगे। सभी अधिकारी अब सीधे अपने जोन उपायुक्त के दिशा निर्देश में कार्य करेंगे और उनके प्रशासन ने कार्य में किसी पूर्व पार्षद को दखल देने का कोई अधिकार नहीं होगा। ज़ोन स्तर पर होने वाली वार्ड समिति की बैठक नहीं होगी। इसके अलावा इन पूर्व पार्षदों को प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों के साथ वार्ड क्षेत्र में लेकर घूमने का भी कोई अधिकार नहीं रहेगा। अधिकारी अपनी सूझबूझ से वार्ड का कार्य करेंगे, कोई भी निगम पार्षद अधिकारी को दिशा निर्देश जारी नहीं कर सकेगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्ष 2017 में हुए निगम चुनाव के पश्चात 18 मई को अपने 05 वर्षीय कार्यकाल की शपथ लेने वाले सभी निगम पार्षदों का कार्यकाल पूरी तरह समाप्त हो चुका है।
