सन् 1965 में कुल 25 बटालियनों से गठित इस बल के पास आज 178 बटालियनें हैं एवं करीब 2.50 लाख कार्मिकों की जनशक्ति से यह बल अपने दायित्वों का निर्वहन् कर रहा है।
भारत-पाक एवं भारत-बंगलादेश की लगभग 7,000 किलोमीटरलम्बी अन्तर्रा’ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा इस बल की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है।
कांटेदार तार की बाड़ के माध्यम से यह बल देश की करीब 4,439 किलोमीटर सीमाओं की सुरक्षा करता है।
पिछले दशक में इस बल ने करीब 7,000 करोड़ रुपये का निषिद्ध व्यापार ¼Contraband Items½ पकड़ा।
यह बल 1,882 जमीनी एवं 18 जलीय सीमा चैकियों के द्वारा सीमा प्रबन्धन मेंे कार्यरत है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति स्थापना अभियान में अब तक इस बल के 1,650 अधिकारी व जवान अपना योगदान दे चुके हैं।
इस बल के बहादुर अधिकारी व कार्मिक अपनी वीरता और सराहनीय तथा विशिष्ट सेवाओं के लिये 4,000 पदकों से सम्मानित किये जा चुके हैं।
वि”व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल – सीमा सुरक्षा बल ने 01 दिसम्बर 2014 को राष्ट्र की विशिष्ट सेवा करते हुए अपनी स्थापना के 50वें वर्ष में प्रवेश किया । और इसी दिन से यह बल अपने स्वर्ण जयंती समारोह की शुरुआत की है । वस्तुतः सीमा सुरक्षा बल राष्ट्र का ऐसा अद्वितीय बल है जिसने पिछले पाँच दशकों में , युद्ध-काल में भी एवं शांति के समय भी, इन दोनांे ही परिस्थितियों में अपने आपको संसार के एक बहुआयामी और सुव्यवस्थित सीमा रक्षक बल के रूप में स्थापित किया है और अपनी स्वर्णिम उपलब्धियों से अपने नाम के अनुरूप चतुर्दिक प्रशसा बटोरी है।
स्वर्ण जयंती समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेस सम्मेलन में बल के महानिदेशक देवेन्द्र कुमार पाठक ने कहा – मैं इस यादगार अवसर पर बल के सभी सेवारत कार्मिकों को और साथ ही सेवा निवृत कार्मिकों व अधिकारियों को भी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ एवं इस बल को एक अति विशिष्ट तथा अतुल्य बल, जैसा कि आज यह बल है, बनाने में उनके भगीरथ प्रयत्नों और सराहनीय योगदान को हृदय की गहराइयों से स्वीकार करता हूँ। पिछले कुछ वर्षो से यह बल निरन्तर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता हुआ और अपने-आप को समयानुसार परिवर्तित करता हुआ एक वृहद् एवं बेहद सशक्त बल के रूप में उभरा है। अपने कठिन सामरिक प्रशिक्षण के कारण आज यह बल किसी भी चुनौती से निपटने के लिये पूर्ण रूपेण सक्षम है। कहा भी गया है -’’प्रशिक्षण में पसीना बहाओ, लड़ाई में खून बचाओ’’
पिछले कुछ वर्षो से सीमा सुरक्षा बल अपनी कठिनतम चुनौतियोंका सामना लगातार कर रहा है जिसमें 1971 के भारत-पाक युद्ध केप”चात सीमा पार से पाकिस्तान द्वारा की जाने वाली क्राॅस बार्डर फायरिंग भी शामिल है। वामपंथी अतिवाद के बढ़ते खतरे को नियंत्रित करने के लिए बल की 15 बटालियनें उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में तैनात की गईं हैं। पूर्व में भारत और बंगलादेश के बीच ’समन्वित सीमा प्रबंधन योजना’ पर सहमति निश्चित रूप से इन दोनों दे”ाों के मध्य छोटे-मोटे मतभेदों को सुलझाने और आपसी रिशतों को प्रगाढ़ करने में मदद प्रदान करेगी।
पाठक ने सीमा प्रबन्धन के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि – ’’मौजूदा जनशक्ति, उपलब्ध संसाधनों, आधुनिक उपकरणों एवं हथियारों के सर्वोत्तम उपयोग से ही प्रभावी सीमा प्रबन्धन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। सीमावर्ती लोगों से मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिये इन समस्त महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। और इसके लिये आव”यकता है स्थानीय स्तर पर जन कल्याणकारी योजनाओं के संचालन की, जो स्वास्थ्य, संस्कृति और ऐसे ही अन्य विषयों से संबंधित हों’’।
भारत सरकार ने पंचवर्षीय आधुनिकीकरण योजना – द्वितीय चरण (2012-2017) के तहत बल को 4,570 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय अनुमोदित किया है। इस राशि से बल अपनी समूचित क्षमता के साथ अपने संपूर्ण आधुनिकीकरण हेतु प्रतिबद्ध है। जवानों के जीवन की बेहतर सुरक्षा और उसकी संक्रियात्मक कार्यक्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के उद्देशय से बल को अग्रिम तकनीकी उपकरणों से लैस करने की दूरगामी योजना है। बल के संस्थानों और विशेष प्रशिक्षण विद्यालयों में पेशेवर सेवा प्रशिक्षण के अतिरिक्त कार्मिकों के व्यक्तिगत प्रशिक्षण में भी निवेश कार्यान्वित है।
उन सीमाओं पर जहां अभी तार की बाड़ नहीं लगी है, या विषम भौगोलिक परिक्षेत्रों में, सीमाओं की सुरक्षा के लिये बल द्वारा जासूसी एवं पूर्व चेतावनी हेतु, मोशन सेन्सर अलार्म और मानव रहित विमानों को उपयोग में लाने का विचार चल रहा है। बल की एयर युनिटें 8 एम.आई-17 वी-5 हेलीकाॅप्टरों द्वारा नक्सलरोधी अभियानांे में सहयोग करेंगी। जबकि वाटर विंग 3 नई फ्लोटिंग सीमा चैकियों और 4 फास्ट अटैक क्राफ्ट्स की देखरेख करेगा। इससे क्रीक और सुन्दरबन जैसे क्षेत्रों में बल कीजलीय क्षमताओं में निस्संदेह वृद्धि होगी।
ऽ अपने कल्याणकारी कार्यक्रमों के अंतर्गत, पिछले 3 वर्षो में सीमा सुरक्षा बल ने शत्रुओं की कार्रवाई में शहीद हुए कार्मिकों के 600 से भी अधिक परिजनों को रोजगार प्रदान किया है और 10 भिन्न-भिन्न लोकेशनों में 6 करोड़ की राशि से निर्मित आवासांे को भी इन परिजनों को आबंटित किया है। पेंशनधारियों की पेंशन संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिये इस वर्ष बल द्वारा जम्मू, देहरादून और हजारीबाग में तीन पेंशन अदालतें भी लगाई गईं हैं। सीमा प्रहरियों के कल्याण को, बल द्वारा ही संचालित चलाई नई बीमा योजना ’स्वर्ण जयंती प्रहरी कवच’ में उच्च स्तरीय कवर के साथ-साथ शहीद, मृत कार्मिकों के परिजनों को शीघ्र भुगतान का भी प्रावधान है। ’ई-सुझाव’ प्रणाली बल में कल्याणकारी नीतियों के क्रियान्वयन हेतु एक अच्छा मंच उपलब्ध करा रहा है।
वर्षो से सीमा सुरक्षा बल उच्च स्तरीय व्यावसायिक दक्षता, अदम्य साहस और अपूर्व निष्ठां के साथ राष्ट्र की सेवा कर रहा है। सीमाओं की सुरक्षा हो या आंतरिक सुरक्षा या फिर प्राकृतिक आपदाओं में तन-मन-धन से पीडि़तों की सहायता करना, भारत सरकार द्वारा सौंपे गये गुरुतम से गुरुतम दायित्व को इस बल ने बखूबी निभाया है। यह अत्यन्त ही गौरव का विषय है कि विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए भी इस बल ने अपने उपर सौंपी गई हर जिम्मेवारी को अनुकरणीय ढ़ंग से सम्पादित कर राष्ट्रीय सुरक्षा के पटल पर अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित कराया है।
सीमा सुरक्षा बल ःकोई भी कार्य, कहीं भी, कभी भी – जीवन पर्यन्त कर्तव्य।