दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने जाति प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित सभी शिकायतों के निस्तारण को लेकर आज सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान समाज कल्याण मंत्री ने जाति प्रमाण पत्रों को जारी करने के सम्बंध में जरूरी दिशा निर्देश दिए।
समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि यह मेरे संज्ञान में आया है कि जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लोगों को अभी भी मैजिस्ट्रेट के ऑफिस आना पड़ता है, जबकि यह डोर स्टेप डिलीवरी ऑफ़ सर्विस की सेवाओं के अंतर्गत आता है। अगर आवेदकों को अभी भी मैजिस्ट्रेट के ऑफिस के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, तो फिर यह डोर स्टेप डिलीवरी ऑफ़ सर्विस के पूरे उद्देश्य को ही विफल कर रहा है। इससे संबंधित गाइडलाइन तत्काल जारी करने की जरूरत है, ताकि आवेदक को दस्तावेज जमा करने के लिए जिला कार्यालय नहीं बुलाया जाए। अगर आवेदक के दस्तावेज पूरे हैं, तो उनको जिला कार्यालय के चक्कर नहीं काटने चाहिए।
मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने यह मुद्दा भी उठाया कि कई मामलों में रिकॉर्ड नॉट ट्रेसेबल बताकर प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर आवेदक का रिकॉर्ड पता नहीं चल रहा है, तो यह विभाग की कमी है, आवेदक की नहीं है। हमें इन आवेदनों को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। विभाग की कमी की सजा आवेदक क्यों झेल रहा है? ऐसे मामलों में, एक उचित दिशानिर्देश जारी करने की आवश्यकता है। हम गवाहों के माध्यम से ऐसे मामलों को भौतिक रूप से सत्यापित कर सकते हैं, जैसे कि उनके पड़ोसी आदि। ऐसी परिस्थितियों में उनका आवेदन खारिज नहीं किया जाना चाहिए।
बैठक में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने यह बात भी सामने रखी कि जाति प्रमाण पत्र में पिता के दस्तावेज मांगे जाते हैं और उसके आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनता है। लेकिन ऐसे कई बच्चे हैं जो केवल अपनी मां के साथ रहते हैं और पिता अलग रहते हैं। कई महिलाएं अपने पति से अलग हो चुकी हैं या पति ने उनको छोड़ दिया है। ऐसे मामलों में, बच्चा जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने में असमर्थ है, क्योंकि उसके लिए पिता के दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इसे तुरंत संशोधित करने की आवश्यकता है। इस बात पर तुरंत आश्वस्त किया जाना चाहिए कि बच्चे के जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए मां के दस्तावेज पर्याप्त हैं।
अंत में, मंत्री ने दिल्ली में ओबीसी प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करते समय सामने आने वाले मुद्दे को भी उठाया, जिनके माता-पिता के पास दूसरे राज्य का जाति प्रमाण पत्र है। यह मामला विभाग के विचाराधीन है।