दिल्ली के करोल बाग में स्थित चार मंजिला होटल अर्पित पैलेस में मंगलवार सुबह करीब साढे चार बजे होटल के चोथे फ्लोर पर आग लग गई। आग लगने के कारण होटल में रुके लोगों मे अफरातफरी मचगई, कुछ ही देर बाद ही आग की विशाल लपटे होटल की खिडकीयों से बाहर दिखने लगी, पूरे इलाके में खबर फैलते ही होटल में ठहरे लोगों की जान बचाने के लिए स्थानिय लोग एकजुट हो गए और तुरंत ही फायरस्टेशन पर फोन कर मामले की सूचना दी।
काफी देर तक दंमकल की 25 से ज्यादा गाड़ियों एंव स्थानिय लोगों द्वारा राहत बचाव का काम जारी रहा, करीब सुबह आठ बजे तक भी पूरी तरह आग पर काबू नहीं कीया जा सका।
होटल में तकरीबन 45 कमरे है जिनमें 70 से भी ज्यादा लोग ठहरे हुए थे। आग से बचने के लिए कुछ लोग होटल की छत व खिडकियों से कूद पडे लेकिन चोट लगने के कारण उनकी मोके पर ही मोत हो गई। होटल के उपरी कक्ष मे फसे लोगों को फायरब्रीगेड की टीम ने क्रेन के जरिए बचाया। शुरुवात मे आग में फसने के कारण 9 लोगों की मोत की खबर आई पर देखते देखते यह आंकडा 17 तक पहुंच चुका है जिसमें अभी कई अन्य और जुडने की भी उम्मीद है। कई लोग घायल है जिन्हे पास के ही अस्तपतालों में भर्ती कराया गया है और इलाज जारी है व होटल के सुपरवाईजर लाल चंद ठाकुर की भी तलाश जारी है, परिवार वालो का कहना है की वह कई सालों से वही पर काम कर रहै थे, परिजनों ने पास ही के कई अस्तपतालो में भी देखा परंतु कही भी पता नही चल सका। ऐसे मे में करोलबाग से कुछ ही दूरी पर चुस्त गलियों से बसा पहाडगंज में भी शायद प्रशासन को किसी बडें हादसे का इंतजार हैं। पहाडगंज में करीब 800 होटल हैं जिनमें से कई अवैध रूप से निर्मित है , लगभग 16000 से भी ज्यादा कमरे है।
पास ही मे नई व पुरानी दुल्ली रेलवे स्टेशन होने के कारण रोज करीब हजारो की संख्या मे लोग ठहरने आते है एसे मे अगर कोई हादसा घटित होता है तो उसका जिम्मेदार कोन होगा।
पहाडगंज मे गलियां छोटी होने के कारण आसानी से वहां राहत कार्य भी होना मुशकिल है हालात इतने खराब है की बिजली की तारों का होटलो की छत पर व सामने की लटकती रहती है।
निगम के मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य बुधवार को होटल अर्पित का मुआयना करने पहुंचे। कमेटी के सदस्य गुप्त रुप से वहां पहुंचे और कार के द्वारा होटल व आसपास के इलाके की अनियमितताएं की जांच कपरके लोट गए। जांच के बाद कमेटी इसपर क्या कार्रवाई करेगी यह निर्णय अभी नहीं हो पाया है। यह क्षेत्र स्पेशल प्रोविजन एक्ट के तहत आता है। इसकी वजह से सीलिंग के फैसले पर स्टे लगा हुआ है। इस स्थिति में कमेटी असमंजस में है। कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि होटल का एफएआर 15 मीटर है। लेकिन उसकी ऊंचाई ज्यादा है वहीं, छत पर अवैध तरीके से रेस्टोरेंट भी चल रहा था। ये गतिविधियां अवैध हैं। सूत्रों के मुताबिक अवैध निर्माण के कारण होटल अर्पित
को पहले भी 6 बार निशाने पर लिया गया था, लेकिन उसके खिलाफ कभी कार्रवाई नहीं की गई। नतिजा सबके सामने आया कई लोगों को अपनी जान गवानी पडी। वही फायर की गाइड लाइन के हिसाब से 15% साइड स्पेस भी इन होटल्स में छोड़ना जरूरी है लैकिन करोल बाग पहाड़ गंज में शायद ही ऐसा कोई होटल होगा जो फायर की इस गाइड लाइनों को पूरा कर पाया हो लेकिन फिर भी फायर की ओर से ई होटल्स को NOC दे दी जाती है। इन सभी होटलो मे स्पा के नाम पर खुले आम चल रहा है जिस्मफिरोशी का धंधा। पिछले कुछ बीते महीनो मे कई ऐसे मामले सामने आचुके है।
–देवेश अग्रवाल